ऊँ जय मुनिसुव्रतस्वामी-२

ऊँ जय मुनिसुव्रतस्वामी, प्रभु जय मुनिसुव्रतस्वामी ।

भक्ति भाव से प्रणमूं, जय अंतरयामी ।।१।।


राजगृही में जन्म लिया प्रभु, आनन्द भयो भारी ।

सुर नर मुनि गुण गाएँ, आरती कर थारी ।।२।।


पिता तिहारे, सुमित्र राजा, शामा के जाया ।

श्यामवर्ण मूरत तेरी, पैठण में अतिशय दर्शाया ।।३।।


जो ध्यावे सुख पावे, सब संकट दूर करें ।

मनवांछित फल पावे, जो प्रभु चरण धरें ।।४।।


जन्म मरण, दुख हरो प्रभु, सब पाप मिटे मेरे ।

ऐसी कृपा करो प्रभु, हम दास रहें तेरे ।।५।।


निजगुण ज्ञान का, दीपक ले आरती करुं थारी ।

सम्यग्ज्ञान दो सबको, जय त्रिभुवन के स्वामी ।।६।।