जय महावीर प्रभो, स्वामी जय महावीर प्रभो ।
कुंडलपूर अवतारी, त्रिशलानंद विभो ।। ऊँ जय महावीर प्रभो ।।
सिद्धारथ घर जन्मे, वैभव था भारी, स्वामी वैभव था भारी ।
बाल ब्रह्मचारी व्रत पाल्यौ तपधारी ।।१।।
आतम ज्ञान विरागी, सम दृष्टि धारी ।
माया मोह विनाशक, ज्ञान ज्योति जारी ।।२।।
जग में पाठ अहिंसा, आपहि विस्तार्यो ।
हिंसा पाप मिटाकर, सुधर्म परिचार्यो ।।३।।
इह विधि चाँदनपुर में, अतिशय दरशायो ।
ग्वाल मनोरथ पुर्यो दूध गाय पायो ।।४।।
अमर चन्द को सपना, तुमने प्रभु दीना ।
मन्दिर तीन शिखर का निर्मित है कीना ।।५।।
जयपुर नृप भी तेरे, अतिशय के सेवी ।
एक ग्राम तिन दीनों, सेवा हित यह भी ।।६।।
जो कोई तेरे दर पर, इच्छा कर आवे ।
होय मनोरथ पूरण, संकट मिट जावे ।।७।।
निशि दिन प्रभु मन्दिर में, जगमग ज्योति जरै ।
हरिप्रसाद चरणों में, आनन्द मोद भरै ।।८।।