जयति जय जय गोम्मटेश्वर

जयति जय जय गोम्मटेश्वर, जयति जय बाहुबली ।

जयति जय भरताधिपति, विजयी अनुपम भुजबली ।

श्री आदिनाथ युगादिब्रह्मा त्रिजगपति विख्यात हैं ।

गुणमणि विभूषित आदिनाथ के भारत और बाहुबली ॥

जयति जय ।।१।।


वृषभेश जब तप वन चले तब न्याय नीति कर गए ।

साकेतनगरीपति भरत, पोदनपुरी बाहुबली ॥

जयति जय ।।२।।


षटखंड जीता भरत मन की नहीं आशा बुझी ।

निज चक्ररत्न चला दिया फिर भी विजयी बाहुबली ॥

जयति जय ।।३।।


सब आखिर राज्य विभव तजा, कैलाश पर जा बसे ।

इक वर्ष का ले योग तब, निश्चल हुए बाहुबली ॥

जयति जय ।।४।।


तन से प्रभु निर्मम हुए वन जंतु क्रीडा कर रहे ।

सिद्धि रमा वरने चले प्रभु वीर बन बाहुबलि॥

जयति जय ।।५।।


प्रभु बाहुबली की नग्न मुद्रा सीख यह सिखला रही ।

सब त्याग करके माधुरी तुम भी बनो बाहुबली ॥

जयति जय ।।६।।