जय पद्मप्रभु देवा, स्वामी जय पद्मप्रभु देवा ।
तुम बिन कौन जगत में मेरा , पार करों देवा ।
जय पद्मप्रभु देवा, स्वामी जय पद्मप्रभु देवा ।।१।।
तुम हो अगम अगोचर स्वामी हम हैं अज्ञानी ।
अपरम्पार तुम्हारी महिमा, काहू ना जानी ।
तुम बिन कौन जगत में मेरा ।।२।।
विघ्न निवारो संकट टारो, हम आये शरणा ।
कुमति हटा सुमति दीज्यो, कर जोड़ पड़े चरणा ।
तुम बिन कौन जगत में मेरा ।।३।।
पाँव पड़े को पार लगाया सुख सम्पति दाता ।
श्रीपाल का कष्ट हटाकर, सुवर्ण तन कीना ।
तुम बिन कौन जगत में मेरा ।।४।।