ॐ जय वासुपूज्य स्वामी

ॐ जय वासुपूज्य स्वामी, प्रभु जय वासुपूज्य स्वामी ।

पंचकल्याणक अधिपति , तुम अन्तरयामी ॥

ॐ जय वासुपूज्य स्वामी ।


चंपापुर नगरी भी धन्य हुई तुमसे स्वामी धन्य ।

जयराम वासुपूज्य , मात पिता हर्षे ।

ॐ जय वासुपूज्य स्वामी ।।१।।


बाल ब्रह्मचारी बन, महाव्रत को धारा ।

प्रथम बालयति जग ने , तुमको स्वीकारा ।

ॐ जय वासुपूज्य स्वामी ।।२।।


गर्भ जन्म तप एवं केवल ज्ञान लिया स्वामी केवल।

चंपापुर में तुमने , पद निर्वाण लिया ।

ॐ जय वासुपूज्य स्वामी ।।३।।


वासवगण से पूजित, वासुपूज्य जिनवर स्वामी वासु ।

बारहवें तीर्थंकर , है तुम नाम अमर ।

ॐ जय वासुपूज्य स्वामी ।।४।।


जो कोई तुमको सुमिरे सुख सम्पति पावे स्वामी सुख ।

पूजन वंदन करके , वंदित हो जावे ।

ॐ जय वासुपूज्य स्वामी ।।५।।


घृत आरती ले हम सब तुम आरती करते स्वामी तुम।

उसका फल मिले चंदना , मति शुद्ध करदे ॥

ॐ जय वासुपूज्य स्वामी ।।६।।