ओम जय पुष्पदंत स्वामी

ओम जय पुष्पदंत स्वामी, प्रभु जय पुष्पदंत स्वामी ।

काकंदी में जन्मे, त्रिभुवन नामी, ओम सब उतारे तेरी आरती ॥


ओम जय पुष्पदंत स्वामी, प्रभु जय पुष्पदंत स्वामी ।

सब उतारे तेरी आरती, ओम सब उतारे तेरी आरती


फाल्गुन कृष्णा नवमी पर, गर्भ कल्याण हुआ गर्भ ।

जयरामा सुग्रीव मात पितु, हर्ष महान हुआ ।।

ओम जय पुष्पदंत स्वामी ।


मगसिर शुक्ला एकम, जन्म कल्याणक हैं ।।

तप कल्याणक से भी यह तिथि पावन हैं ॥

ओम जय पुष्पदंत स्वामी ।


कार्तिक शुक्ला द्वितीया, घाति कर्म नाशा, स्वामी घाति ।

पुष्पक वन में केवल ज्ञान सूर्य भासा, ज्ञान सूर्य ॥

ओम जय पुष्पदंत स्वामी ।


भादों शुक्ला अष्टमी सम्मेदाचल से ।

सकल कर्म निर्हित हो सिद्धालय पहुचे ॥

ओम जय पुष्पदंत स्वामी


हम सब घृत दीपक ले, आरती को आये, स्वामी आरति ।।

यही चन्दना मति कहे, भाव आरत नश जावे ॥

ओम जय पुष्पदंत स्वामी ।