मल्लिनाथ प्रभु की आरती कीजे

मल्लिनाथ प्रभु की आरती कीजे,

पंचम गति का निज सुख लीजे ।।


मिथिला नगरी जन्मे स्वामी,

प्रजावती माँ हैं जगनामी ।

मल्लिनाथ प्रभु की आरती कीजे,

पंचम गति का निज सुख लीजे ।।१।।


कुम्भराज पितु तुम सम शिशु पा,

कहलाये सचमुच रत्नाकर ।

मल्लिनाथ प्रभु की आरती कीजे,

पंचम गति का निज सुख लीजे ।।२।।


मार्गशीर्ष सुदी ग्यारस तिथि प्यारी,

जन्मे त्रिभुवन में उजियारी ।

मल्लिनाथ प्रभु की आरती कीजे,

पंचम गति का निज सुख लीजे ।।३।।


जन्म तिथि में ली प्रभु दीक्षा,

कहलाये प्रभु कर्म विजेता ।

मल्लिनाथ प्रभु की आरती कीजे,

पंचम गति का निज सुख लीजे ।।४।।